भारत में
स्ट्रोक मैनेजमेंट को नई गति दे रहा है एआई, वैश्विक विशेषज्ञ एक मंच पर जुटे स्ट्रोक केयर
का भविष्य बदला,
एआई ने खोली सुपर-फ़ास्ट इलाज की राह
नई दिल्ली, 13 दिसंबर 2025: इंडिया
हैबिटैट सेंटर में आज बहु-प्रतीक्षित स्ट्रोक एंड एआई 2025 सम्मेलन की शुरुआत हुई,
जहाँ आधुनिक स्ट्रोक केयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग को लेकर वैश्विक
स्तर पर नई चर्चा को गति दी है। दो दिन चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भारत
और दुनिया भर से आए प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरोइंटरवेंशन स्पेशलिस्ट,
फिज़िशियन, डेटा साइंटिस्ट और हेल्थकेयर इनोवेटर्स ने भाग लिया। सभी विशेषज्ञों का
उद्देश्य स्ट्रोक की डायग्नोसिस, इलाज और रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया को तेज़, सटीक
और अधिक प्रभावी बनाना है।
उद्घाटन सत्र में स्ट्रोक एंड एआई 2025 के चेयरपर्सन डॉ. कामेश्वर
प्रसाद, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. बिप्लब दास, इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन की प्रेसिडेंट
डॉ. पी. विजया और डॉ. धीरज खुराना, PGI चंडीगढ़ सहित न्यूरोसाइंसेस और डिजिटल हेल्थ
क्षेत्र के कई वरिष्ठ विशेषज्ञ मौजूद रहे। इनकी उपस्थिति ने इस बात को रेखांकित किया
कि एआई अब स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल इमरजेंसी में तेज़ी से बदलाव ला रहा है और इसके
लिए मल्टी-डिसिप्लिनरी सहयोग बेहद ज़रूरी है।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि एआई आधारित टूल जैसे प्रेडिक्टिव
एल्गोरिद्म, ऑटोमेटेड इमेज इंटरप्रिटेशन, वर्कफ़्लो ऑप्टिमाइज़ेशन और पर्सनलाइज़्ड
रिहैबिलिटेशन, कैसे इलाज को तेज़ बना सकते हैं, डायग्नोसिस को अधिक सटीक कर सकते हैं
और स्ट्रोक से होने वाली मौत व दिव्यांगता को कम कर सकते हैं। मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी,
एडवांस्ड न्यूरोइंटरवेंशन, परफ्यूजन इमेजिंग, इमरजेंसी ट्रायेज, रोबोटिक सपोर्ट और
एआई आधारित प्रेडिक्टिव मॉडलिंग जैसे विषयों पर हुए सत्रों ने प्रतिभागियों का विशेष
ध्यान आकर्षित किया।
सभा को संबोधित करते हुए स्ट्रोक एंड एआई 2025 के चेयरपर्सन डॉ.
कामेश्वर प्रसाद ने कहा, “स्ट्रोक केयर एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है और इस
बदलाव के केंद्र में एआई है। आज की चर्चाओं ने साबित किया है कि एआई भविष्य नहीं, बल्कि
वर्तमान का एक प्रभावी टूल है, जो इलाज में होने वाली देर को कम कर सकता है, क्लिनिकल
फैसलों को तेज़ और सटीक बना सकता है, और थ्रॉम्बेक्टॉमी व एडवांस्ड इमेजिंग जैसी प्रिसिशन
प्रक्रियाओं को और बेहतर बना सकता है। यहां मौजूद विशेषज्ञ इस साझा लक्ष्य को आगे बढ़ा
रहे हैं कि टेक्नोलॉजी की मदद से स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु और डिसेबिलिटी को कम
किया जाए और स्ट्रोक केयर अधिक सुलभ बनाया जाए।”
स्ट्रोक एंड एआई 2025 के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. बिप्लब दास,
ने कहा, “आज हमने क्लिनिकल अनुभव और तकनीकी नवाचार का एक अनोखा संगम देखा। एआई में
वह क्षमता है, जो स्ट्रोक की पहचान, वर्गीकरण और इलाज की प्रक्रिया को बदल सकती है,
खासतौर पर तब, जब इसे आधुनिक उपचार तकनीकों के साथ जोड़ा जाए। इस सम्मेलन का उद्देश्य
ऐसे सहयोग विकसित करना है, जिनसे एआई आधारित इनोवेशन रोजमर्रा की क्लिनिकल प्रैक्टिस
का हिस्सा बन सकें। वैश्विक विशेषज्ञों की उपस्थिति इस नए युग की शुरुआत को और मजबूत
बनाती है, जहां स्ट्रोक केयर गति, सटीकता और समान पहुंच पर आधारित होगा।”
राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व
पर जोर देते हुए इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन की प्रेसिडेंट डॉ. पी. विजया ने कहा “भारत
एआई आधारित स्ट्रोक प्रबंधन में वैश्विक लीडर बन सकता है, बशर्ते हम स्ट्रक्चर्ड ट्रेनिंग,
डिजिटल नेटवर्क और तेज़ रेस्पॉन्स सिस्टम में निवेश करें। आज साझा किए गए विचारों ने
स्पष्ट किया कि एआई इमेजिंग इंटरप्रिटेशन, इमरजेंसी ट्रायेज और ट्रीटमेंट प्लानिंग
में मौजूदा गैप को कम कर सकता है, खासकर उन जगहों पर जहां संसाधन सीमित हैं। एआई डॉक्टरों
को तेज़ और सटीक जानकारी देकर हजारों ज़िंदगियां बचाने में मदद कर सकता है और स्ट्रोक
का बोझ कम कर सकता है।”
दिन भर चली विशेषज्ञ चर्चाओं में कई वास्तविक केस स्टडीज़ साझा की
गईं, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि एआई आधारित डिटेक्शन और ट्रायेज डोर-टू-नीडल तथा डोर-टू-ग्रॉइन
समय को कम कर सकते हैं, जिससे मरीज का इलाज जल्दी शुरू हो पाता है और दिमाग को होने
वाले नुकसान से बचा जा सकता है। टेली-स्ट्रोक मॉडल और क्लाउड आधारित एआई प्लेटफॉर्म
पर भी विशेष चर्चा हुई, जो दूरस्थ क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ मार्गदर्शन उपलब्ध कराते
हैं।
मजबूत वैज्ञानिक कार्यक्रम और देश-विदेश के विशेषज्ञों की सक्रिय
भागीदारी के साथ स्ट्रोक एंड एआई 2025 ने भारत और दुनिया में स्ट्रोक प्रबंधन के प्रोटोकॉल
को नए सिरे से परिभाषित करने की दिशा में एक मजबूत कदम रखा है। सम्मेलन का दूसरा दिन
कल एडवांस्ड वर्कशॉप्स, विशेषज्ञ पैनल और सहयोगी रणनीति सत्रों के साथ जारी रहेगा,
जिनका उद्देश्य स्ट्रोक केयर के लिए भविष्य तैयार प्रणालियों का निर्माण करना है।

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