सोनीपत : कैंसर के इलाज में रोबोटिक सर्जरी के आने से एक बहुत ही बड़ा परिवर्तन आया है. रोबोटिक सर्जरी के जरिए कई तरह के कैंसर का इलाज किया जा रहा है जिनमें हेड एंड नेक कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, कोलोरेक्टल, प्रोस्टेट और यूटेरिन, ओवेरियन व सर्वाइकल जैसे गाइनेकोलॉजिकल कैंसर शामिल हैं. बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के एचओडी व सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर सुरेंद्र डबास के अनुसार ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का अपना अलग महत्व है, लेकिन सटीकता समेत कई अन्य फायदों के चलते रोबोटिक सर्जरी ज्यादा कारगर साबित हुई है.
1- अच्छी इमेज और ऑपरेशन में सटीकता
रोबोटिक सर्जरी में एडवांस इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल होता है जिसके जरिए डॉक्टरों को ट्यूमर के स्थान की 3डी और एचडी इमेज मिलती है. शरीर के अंदर की इस तरह की तस्वीर मिलने से ये फायदा हुआ है कि जो प्रक्रिया ओपन या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में संभव नहीं थी, वो भी अब की जा सकती है. रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर सभी सर्जिकल उपकरणों को बहुत ही अच्छे ढंग से पकड़ पाते हैं, उन्हें मैग्नीफाइड इमेज और रोबोटिक हैंड की मदद मिलती है. इससे फायदा ये होता है कि ट्यूमर हटाने में ज्यादा एक्यूरेसी आती है और स्वस्थ टिशू भी संरक्षित रहते हैं जो कैंसर की सर्जरी में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं.
2- मिनिमली इनवेसिव यानी कम से कम चीर-काट
ओपन सर्जरी में आमतौर पर ट्यूमर हटाने के लिए शरीर पर बड़े चीरे लगाए जाते हैं जबकि रोबोटिक सर्जरी में रोबोटिक हैंड की मदद से सर्जरी के उपकरणों को पकड़ा जाता है और बहुत ही छोटा कट लगाकर सर्जरी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. इसका फायदा ये होता है कि आसपास के स्वस्थ टिशू को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता, खून कम बहता है, सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी तेजी से होती है. हालांकि, ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी कम इनवेसिव है लेकिन इसमें उपकरणों के मूवमेंट और उनको कंट्रोल करने की एक लिमिट होती है.
3-मोशन और सटीकता
रोबोटिक सर्जरी का सिस्टम इस तरह डिजाइन किया गया है जिसमें सर्जन के हाथ का मूवमेंट, उसके घूमने की रेंज बहुत ही सटीक और स्थिर रहती है. यानी हाथ हिलने-डुलने का खतरा नहीं रहता जिससे सर्जरी में नुकसान होने का रिस्क रहता है. डॉक्टर अपने हिसाब से उपकरणों को कंट्रोल कर सकते हैं. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में ये काम इस प्रक्रिया में ज्यादा अच्छे से हो पाता है जिससे आसपास के टिशू डैमेज का रिस्क नहीं रहता.
4- डॉक्टरों को कम थकान
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी अगर लंबी हो तो डॉक्टर थक जाते हैं और उनके हाथों के हिलने-डुलने का खतरा भी रहता है. जबकि रोबोटिक सर्जरी में इसके चांस नहीं होते क्योंकि इसमें रोबोटिक आर्म की मदद से डॉक्टर पूरी सर्जरी को ऑपरेट करते हैं. इसमें डॉक्टर का मूवमेंट रोबोटिक एक्शन में बदल जाता है, जिससे न तो डॉक्टर को थकान होती है और न ही उनके हाथों से कोई त्रुटि होने का डर रहता है. इससे सर्जरी की सफलता के चांस ज्यादा रहते हैं, जो कैंसर ट्रीटमेंट में बेहद महत्वपूर्ण है.
5- छोटे कट
ओपन सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी में काफी छोटे कट लगाने पड़ते हैं. इससे न सिर्फ इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है बल्कि स्किन भी जल्दी ठीक हो जाती है. जिन मरीजों की रोबोटिक सर्जरी की जाती है, उनमें शरीर के ऑपरेशन वाले हिस्से पर आमतौर पर निशान कम ही रहते हैं.
6- तेज रिकवरी और अस्पताल में कम स्टे
ये सर्जरी मिनिमली इनवेसिव होती है यानी इसमें ट्यूमर वाली जगह पर छोटे कट लगाए जाते हैं. इससे बॉडी को कम नुकसान पहुंचता है और मरीज को सर्जरी के बाद रिकवरी में मदद मिलती है. ओपन सर्जरी की तुलना में देखा जाए तो अस्पताल में भी कम वक्त ही भर्ती रहना पड़ता है. इसका मतलब ये हुआ कि मरीज का इलाज भी हो जाता है और उसके जीवन में ज्यादा परेशानियां नहीं आती और वो जल्द ही रुटीन गतिविधियों में शामिल हो जाता है.
रोबोटिक सर्जरी की सटीकता और इसका मिनिमली इनवेसिव होना, इसे कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक बहुत ही उपयोगी टूल बनाता है.
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