सीके बिरला अस्पताल में ब्रेस्ट सेंटर के हेड व लीड कंसल्टेंट और इस मामले के लीड सर्जन डॉक्टर रोहन खंडेलवाल ने बताया, ”जब मरीज हमारे पास पहुंचीं तो उनके पूरे स्तन में एक बड़ी गांठ थी जिनकी पहचान फिलोड्स ट्यूमर के रूप में हुई। इस ट्यूमर का साइज देखते हुए मरीज की ट्यूमर रिमूवल सर्जरी करनी पड़ी जिसमें उनका बायां स्तन पूरी तरह हटाना पड़ा। हालांकि, ट्यूमर हटाने के बाद में पूरे स्तन को रिकंस्ट्रक्ट कर दिया गया. इस केस से एक बात सामने आती है कि अगर गांठ में दर्द न भी हो तो उन्हें इग्नोर करना सही नहीं है, खासकर अगर उनके साइज में वृद्धि हो रही हो तो इस पर जरूर मेडिकल हेल्प लें।
फिलोड्स ट्यूमर एक रेयर बीमारी होती है। अगर इसका जल्दी पता चल जाता है, तो आमतौर पर कीमोथेरेपी के बिना भी इसका इलाज किया जा सकता है। हालांकि ये जो केस था, उसमें ट्यूमर को पूरी तरह हटाने के लिए स्तन को हटाना जरूरी था।
डॉक्टर रोहन ने जोर देकर कहा, ”अगर मरीज तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर के पास आ जाए तो हम स्तन को बचा पाते हैं। हालांकि, जब ट्यूमर काफी बढ़ जाता है जैसा कि इस मामले में हुआ था, वहां स्तन रिमूव करके रिकंस्ट्रक्ट करना ही एक अच्छा ट्रीटमेंट प्लान होता है।
स्तन से सफलतापूर्वक 4.5 किलो का ट्यूमर हटाना और फिर ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्ट सर्जरी करना, सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम की एडवांस मेडिकल केयर अप्रोच को दर्शाता है। सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी हो रही है। ट्रीटमेंट प्लान के हिसाब से उन्हें रेडियोथेरेपी दी जाएगी। ये एक ऐसा केस था जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त एक युवती ने अपनी हेल्थ समस्या से जुड़े लक्षणों को सीरियसली नहीं लिया। सीके बिरला अस्पताल हर किसी से ये अपील करता है कि अपनी सेहत को हल्के में न लें और अगर किसी को स्तन में गांठ महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। खासकर, अगर स्तन की गांठ में दर्द न हो और उसका साइज लगातार बढ़ रहा हो तो जरूर डॉक्टर को दिखाएं।
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