पानीपत: भारत में हार्ट डिसीस आज भी मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन इनकी बड़ी संख्या को समय पर स्क्रीनिंग और सरल जीवनशैली में बदलाव से रोका जा सकता है। दुर्भाग्य से, कई लोग शुरुआती लक्षणों और जांचों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और तब तक इंतजार करते हैं जब तक समस्या गंभीर न हो जाए, जिससे हृदय को हुआ नुकसान अक्सर ठीक करना मुश्किल हो जाता है।
हार्ट डिसीस अचानक विकसित नहीं होते। उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान, तना
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के कार्डियोलॉजी विभाग के वाइस चेयरमैन एवं एचओडी डॉ. नवीन भामरी ने बताया कि “नियमित जांच से हार्ट डिसीस के छुपे हुए जोखिम कारकों को शुरुआती अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है। ईसीजी, इकोकार्डियोग्राफी, लिपि
डॉ. नवीन ने आगे बताया कि “जांच के साथ-साथ रोज़मर्रा की आदतें भी हृदय को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। संतुलित आहार जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और हल्के प्रोटीन शामिल हों, बेहद ज़रूरी है। तैलीय, तला-भुना और प्रोसेस्ड भोजन कम करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। हफ्ते में अधिकांश दिनों पर कम से कम आधे घंटे तेज़ चाल से चलना, योग या साइकिलिंग करने से रक्त प्रवाह बेहतर होता है और दिल मज़बूत रहता है। साथ ही धूम्रपान से पूरी तरह दूरी, शराब का सीमित सेवन, ध्यान और हॉबीज़ के जरिए तनाव कम करना, 7–8 घंटे की नींद लेना और स्वस्थ वजन बनाए रखना हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी हैं।“
छाती में भारीपन, अचानक सांस फूलना, असामान्य थकान, चक्कर आना या अत्यधिक पसीना आना – इन लक्षणों को कभी नज़रअंदाज़ न करें। कई मरीज इन्हें गैस्ट्रिक समस्या समझकर देर कर देते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
आपका दिल समय से पहले ध्यान चाहता है। किसी आपात स्थिति का इंतजार न करें। नियमित जांच कराएं, शरीर के संकेतों को सुनें और अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करें। आज उठाए गए ये कदम आपके दिल को लंबे समय तक स्वस्थ और मज़बूत बनाए रखेंगे।
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