आम
लोगों के लिए यह
जानना जरूरी है कि कब
डॉक्टर से संपर्क करना
चाहिए और चिकित्सा पेशेवरों
के लिए यह समझना
जरूरी है कि मरीज
को विशेषज्ञ के पास रेफर
करने की जरूरत कब
है। सबसे अहम सवाल
यह होता है कि
कहीं यह गांठ कैंसरजन्य
(सारकोमा) तो नहीं है?
मैक्स
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी
विभाग के सीनियर डायरेक्टर
डॉ. अक्षय तिवारी ने बताया कि
"अगर किसी गांठ का
आकार या आकृति समय
के साथ बदल रही
है, तो यह खतरे
का संकेत हो सकता है।
गांठ का तेजी से
बढ़ना, उसमें दर्द होना, या
त्वचा का रंग व
बनावट बदलना – ये सभी लक्षण
इस बात की ओर
इशारा कर सकते हैं
कि गांठ सामान्य नहीं
है। यदि गांठ लाल,
सूजी हुई या छूने
पर गर्म लगती है,
या गांठ के साथ
बुखार, थकावट या वजन कम
होना जैसे लक्षण हों
तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
इसके अलावा, यदि गांठ 5 सेंटीमीटर
से बड़ी हो या
मांसपेशियों के अंदर गहराई
में स्थित हो, तो यह
सारकोमा हो सकता है।"
सारकोमा
यानी हड्डी या मांसपेशियों का
कैंसर, एक दुर्लभ बीमारी
है। इसी वजह से
इसे अक्सर देर से पहचाना
जाता है या गलत
निदान हो जाता है।
यदि आपको हाल ही
में कोई नई या
असामान्य गांठ दिखाई दे,
खासकर उपरोक्त चेतावनी संकेतों के साथ, तो
तुरंत –ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ से
सलाह लेना जरूरी है।
आमतौर पर जांच में
रोगी का इतिहास, शारीरिक
परीक्षण और आवश्यकतानुसार इमेजिंग
टेस्ट या बायोप्सी शामिल
होते हैं। समय पर
पहचान और उपचार से
न सिर्फ बीमारी का इलाज संभव
होता है, बल्कि प्रभावित
अंग की कार्यक्षमता भी
बचाई जा सकती है।
डॉ.
तिवारी आगे कहते हैं,
"स्वास्थ्य के मामले में
सतर्कता सबसे बड़ी सुरक्षा
है। अगर किसी गांठ
को लेकर संदेह हो,
या उसमें कोई बदलाव नजर
आए, तो समय गंवाए
बिना विशेषज्ञ से संपर्क करें।
ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श लेकर
जांच कराना ही समझदारी है।"
अपना
और अपनों का स्वास्थ्य सुरक्षित
रखने के लिए जागरूक
रहना जरूरी है। किसी भी
असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न
करें और समय रहते
जांच कराएं – क्योंकि समय पर किया
गया एक कदम, जीवन
भर की सुरक्षा दे
सकता है।
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