मेरठ, 8 सितंबर, 2021: देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ने के बावजूद आॅन्कोलॉजी के क्षेत्र में हुई नई तरक्की ने कारगर नतीजे दिए हैं। विभिन्न प्रकार के कैंसर के बेहतरीन उपचार विकल्पों तक सही समय पर पहुंच की जरूरत बताने और इनकी मृत्यु दर में कमी लाने के मकसद से मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज नई दिल्ली ने आज एक संवाद सत्र का आयोजन किया।
इस सत्र में मेरठ के 62 वर्षीय कैंसर मरीज पर इलाज के हुए प्रभावशाली असर को दिखाते हुए डॉ. मीनू वालिया ने कैंसर मरीजों की जीवन गुणवत्ता सुधारने के लिए जागरूकता और सही समय पर डायग्नोसिस के महत्व पर प्रकाश डाला।
अगस्त 2015 में 56 वर्षीया एक महिला पिछले तीन महीने से कफ होने की शिकायत और पिछले 15 दिनों से सिरदर्द की शिकायत लेकर आई। रेडियोलॉजी जांच से पता चला कि उनके बाएं फेफड़े में एक गांठ और मस्तिष्क में कई जगह जख्म जैसा बन गया है। हिस्टोपैथोलॉजी से इस गांठ की प्रकृति पता चली और महिला की खुशकिस्मती रही कि ईजीएफआर इलाज से वह ठीक हो गई।
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में मेडिकल आॅन्कोलॉजी की वरिष्ठ निदेशक, डॉ. मीनू वालिया ने कहा, 'मरीज के मस्तिष्क में हो रहे बदलाव के साथ उनमें एडवांस्ड (चौथा चरण) का लंग कैंसर पाया गया। उन्हें ओरल टार्गेटेड थेरापी पर रखा गया और इलाज के तीन महीने में की गई जांच से उनमें काफी सुधार देखा गया। बाद की जांच से भी बीमारी के स्थिर हो जाने का पता चला। पहले लंग कैंसर के एडवांस्ड स्टेज वाले मामले में सिर्फ कीमोथेरापी ही विकल्प होता था और इस चरण के बाद मरीज के जीवित रहने की संभावना 6—8 महीने ही होती थी। लेकिन कई लक्ष्यों के साथ मोलेकुलर प्रोफाइलिंग पद्धति के आने से न सिर्फ इलाज में कीमोथेरापी की जरूरत रह गई है बल्कि मरीज के जीवित रहने की संभावना भी लंबी होती है।'
आज यह मरीज न सिर्फ पिछले छह साल से स्वस्थ है बल्कि अच्छी जिंदगी जी रहा है। टार्गेट थेरापी कैंसर के मरीजों को बेहतर परिणाम देते हुए इलाज में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है और इसमें कम से कम टॉक्सिसिटी और अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ती है।
सभी तरह के कैंसर में लंग कैंसर सबसे घातक माना जाता है जिसमें मृत्यु दर वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा होती है। इससे पीड़ित होने के बारे में कम जानकारी और इसके लक्षणों को बहुत बाद में पहचाने जाने (कई बार तो इसे टीबी भी मान लिया जाता है) के कारण यह जानलेवा हो जाता है और ज्यादातर मरीजों में यह विकसित होकर आक्रामक हो जाता है।
डॉ. वालिया ने कहा, 'हालांकि इलाज में तरक्की और नए इलाज की उपलब्धता के कारण लंग कैंसर अब एडवांस्ड स्टेज तथा बुजुर्गों की बीमारी में भी ठीक हो सकता है। हमेशा यही सलाह दी जाती है कि इस बीमारी की शुरुआती चरण में पहचान के लिए समय—समय पर अपनी जांच कराते रहें। शुरू में ही पता चल जाने पर आधुनिक पद्धतियों की मदद से बेहतरीन परिणाम मिल सकते हैं। लिहाजा यह जान लेना जरूरी है कि इस बीमारी में जागरूकता की अहम भूमिका होती है।'
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