मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में रोबोट तकनीक से हुआ बिहार के 95 वर्षीय मरीज के दोनों घुटनों का सफल ऑपरेशन

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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में रोबोट तकनीक से हुआ बिहार के 95 वर्षीय मरीज के दोनों घुटनों का सफल ऑपरेशन

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में रोबोट तकनीक से हुआ बिहार के 95 वर्षीय मरीज के दोनों घुटनों का सफल ऑपरेशन

फरीदाबाद : सेक्टर-16 स्थित मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ऑर्थोपेडिक एवं जॉइंट्स रिप्लेसमेंट सर्जरी टीम ने बिहार निवासी 95 वर्षीय तैय्यब अली के दोनों खराब घुटनों का रोबोट तकनीक से सफल ऑपरेशन कर न केवल उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने में सफलता हासिल की है बल्कि लंबे समय से बिस्तर पर पड़े रहने के कारण होने वाली पीड़ा से भी राहत प्रदान की है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में ऑर्थोपेडिक एवं रोबोटिक जॉइंट्स रिप्लेसमेंट विभाग के प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी, डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि जब बिहार से मरीज हमारे पास आया तो उस समय वह अपने पैरों पर खड़ा नही हो पा रहा था, मरीज पूरी तरह से बिस्तर पर ही सिमित था इसलिए पेशाब एवं पॉटी करने के लिए उन्हें दूसरी व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती थी। ठीक से जाँच करने पर पता चला कि मरीज के दोनों घुटने गंभीर रूप से खराब हो चुके थे। मरीज की उम्र ज्यादा होने की वजह से परिजन सर्जरी के लिए तैयार नहीं हो रहे थे लेकिन अच्छे से समझाने पर परिजन मरीज की सर्जरी के लिए मान गए। मरीज की हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा भी जाँच की गई। पूरी तरह से फिट होने पर रोबोट तकनीक की मदद से सर्जरी करके मरीज के दोनों घुटनों को एक साथ बदल दिया। सर्जरी के अगले ही दिन मरीज ने चलना-फिरना शुरू कर दिया। चार दिन बाद मरीज ने थोडा-थोडा सीडियों पर भी चढ़ना शुरू कर दिया। मरीज ने बिना किसी सहारे के चल कर पेशाब और पॉटी करना शुरू कर दिया। स्वास्थ्य होने पर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया। अब मरीज एक सामान्य जीवन जी रहा है।  


डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि रोबोट तकनीक बुजुर्ग लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसमें छोटा सा चीरा लगाया गया इसलिए ब्लडलोस कम हुआ और मरीज ने रिकवरी बहुत तेजी से की। रोबोट तकनीक की मदद से इम्प्लांट की पोजीशन भी बहुत अच्छे से हुई। मरीज के दोनों घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी में लगभग 2 घंटे का समय लगा यह सर्जरी मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा देती है क्योंकि इसमें घुटने के सॉफ्ट टिश्यू और हड्डी बहुत ही कम कटती है।डॉ विनीत विमल कर्ण और डॉ रोहित ठक्कर ने बताया कि "हड्डी में अलग से कोई होल नहीं करने पड़ते हैं इसलिए सर्जरी के बाद मरीज को दर्द भी कम होता है। "


रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में हिप, घुटने और टखने का सिटी स्कैन किया जाता है। फिर इस जानकारी को कंप्यूटर में फीड किया जाता है। इसके बाद सर्जरी की प्लानिंग की जाती है। रोबोटिक तकनीक जटिल सर्जरी प्रक्रियाओं को अधिक सटीकता एवं नियंत्रण के साथ करने में मदद करती है, जिससे बेहतर एलाइनमेंट होता है, रिकवरी जल्दी होती है और जॉइंट इम्प्लांट लंबे समय तक चलते हैं। मरीज को हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है और मरीज कुछ ही दिनों में अपनी दैनिक क्रियाओं को तेजी से करना शुरू कर देता है। पारंपरिक तरीके से सर्जरी कराने वालों की तुलना में रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी कराने वाले मरीजों को बेहतर एलाइनमेंट, कम जटिलताओं और अधिक संतुष्टि का अनुभव होता है।

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