तंबाकू खाने से हुए मुंह के कैंसर का समय रहते इलाज से बचा जीवन

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तंबाकू खाने से हुए मुंह के कैंसर का समय रहते इलाज से बचा जीवन

तंबाकू खाने से हुए मुंह के कैंसर का समय रहते इलाज से बचा जीवन

बुलंदशहर : 26.04.2023, ओरल कैंसर यानी मुंह के कैंसर के बढ़ रहे मामलों और इसके इलाज के लिए उपलब्ध एडवांस तकनीक के बारे मैं लोगों को आगरूक करने के मकसद से नई दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने आज बुलंदशहर में एक सत्र आयोजित किया. इस सब के दौरान बुलंदशहर के 32 वर्षीय मरीज सोनल कुमार के बारे में जानकारी दी गई. साथ ही बताया गया कि ट्रीटमेंट के जो एडवांस मेयइस उपलब्ध है, उनके इस्तेमाल से कैसे हेड व नेक कैंसर के मामलों में बेहतर रिजल्ट आ रहे हैं. लेटेस्ट तकनीक मरीजो के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो रही है।मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज में हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर पवन गुप्ता ने केस के बारे में जानकारी देते हुए बताया, मरीज सोनल की जीभ के दाहिने हिस्से में अल्सर था,जो दो महीने से ठीक नहीं हो पा रहा था। 

इसके अलावा सबम्यूकस फाइब्रोसिस (वह ट्यूमर जो मुंह को खुलने से रोकता है) भी पनप गया था, जिससे ट्रिसमस (मुंह में दो उंगलियों का औ न आना यानी 35 मिमी से भी कम मुंह खुलना) की समस्या भी हो गई. इस सबके कारण मरीज को खाना चबाने में परेशानी हो गई, आवाज बदल गई, जीम को ठीक से नहीं घुमा पाए।अब गहनता से जांच की गई तो पता चला कि मरीज के मुंह में अंदर 3 अल्सर है. एक जीम के दाहिने हिस्से के नीचे थे, जिसका साइज 1810 मिमी था. दूसरा बकल म्यूकोसा यानी गाल के अंदर था और इसका साइज 25*10 मिमी था. मरीज पहले ही कई लोकल अस्पतालों में इलाज करा चुका था, उनके पास बायोप्सी रिपोर्ट थी. लिहाजा, लिम्फ नोड्स का पता लगाने के लिए PET स्कैन कराया गया।

जांच में स्टेज 1 का ओरल कैंसर पाया गया. मरीज की हिस्ट्री भी देखी गई, मरीज छोटी उम्र से ही तंबाकू का सेवन कर रहा था और करीब दो दशक से इस तरह की लत में था. सही वक्त पर इलाज न मिल पाने के कारण वो कई महीनों से इस समस्या से जूझ रहा था. डॉक्टर्स की टीम ने ट्यूमर को निकालने और फिर रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी करने का फैसला किया।

डॉक्टर पवन ने आगे बताया, मरीज और उसके परिजन सर्जरी को लेकर चिंतित थे, जिसे देखते हुए हमने उन्हें पूरी प्रक्रिया के बारे में समझाया. इसके बाद मरीज को ऑपरेशन कर ट्यूमर हटाया गया, नेक नोड्स भी हटाए गए और फिर रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई. ये सर्जरी सफल रही. अब मरीज नॉर्मल है और लगातार फॉलो-अप हो रहे हैं. मरीज की आवाज भी सही हो गई है, और चबाने में भी समस्या नहीं हो रही है. इस तरह के मामलों में बीमारी का सही वक्त पर पता लग जाने से पूरी तस्वीर बदल जाती है और मरीज के लिए अच्छे रिजल्ट आते है. ऐसे में अगर किसी को तरह की समस्या नजर आए तो लगातार टेस्ट कराते रहे। 

मुंह के कैंसर के लिए तंबाकू एक बड़ा कारण होता है और करीब 90 फीसदी केस इसी से जुड़े होते हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नैशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के हालिया आंकड़े के मुताबिक, तीन में से एक कैंसर केस बीमारू राज्य से आता है. 2020 में देश में रिकॉर्ड किए गए कुल कैंसर केस (13.24 लाख) में से 75 लाख कैस बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से थे. इनमें भी सबसे ज्यादा 4.6 लाख कैस अकेले उत्तर प्रदेश से थे।

ग्लोबाकैन डाटा 2020 के मुताबिक, मुंह का कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है, और पुरुषों में ये सबसे ज्यादा कॉमन है. पूरी दुनिया में मुंह कैंसर से होने वाली मौतों का ग्राफ छठा था और कुल मौतों में 35 फीसदी मौतें अकेले उत्तर प्रदेश से हुई. क्योंकि मुंह के कैंसर का सबसे कारण तंबाकू का सेवन है, ऐसे में लोगों को इस बारे में बहुत जागरूक करने की आवश्यकता है. मै अस्पताल के इस सत्र में लोगों को हेल्दी आदतों को अपनाने और रेगुलर चेकअप कराने की सलाह दी गई. साथ ही डॉक्टरों ने बताया अगर किसी के मुंह में लाल या सफेद पंच पड़ गए हो या फिर तीन हफ्तों से ज्यादा तक मुंह के अंदर अल्सर रहे, तो फिर जल्द से ज डॉक्टर से परामर्श लें।

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